एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘यह एक प्रेस रिपोर्टर का मौलिक अधिकार है कि वह ऐसे समाचार भी लिख सके जो प्रशासन के लिए अरुचिकर हों.’ ई टीवी संवाददाता अविषेक दत्त रॉय, जिन्होंने अनाधिकृत रूप से बालू के खनन संबंधी एक रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों द्वारा घूस लेने की खबर उजागर की थी, और इसी खबर के आधार पर उल्टे उन्ही के ऊपर प्राथमिकी दर्ज कर दी गयी थी, ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दी थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए उक्त बात कही.
बताया जा रहा है कि ई टीवी भारत के संवाददाता रॉय ने, पुलिस अधिकारियों के घूस लेने के साथ ही तेज और असावधानी पूर्ण गाड़ी चलाने से संबंधित एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी, जिसके कारण एक व्यक्ति की जान चली गयी थी.
पत्रकार के अनुसार उन्होंने ओवरलोड बालू भरे ट्रक वालों से पुलिस वालों द्वारा उगाही करते हुए स्वयं देखा था. और इसी उपक्रम में तेज और अंधाधुंध गाड़ी दौड़ाते एक पुलिसिया वाहन ने एक व्यक्ति को रौंद दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी.
पत्रकार रॉय की इस रिपोर्ट से क्षुब्ध हो कर रॉय के खिलाफ गत 2 जून को एक एफ आई आर दर्ज कर ली गयी.
न्यायमूर्ति सोमेन सेन और बिबेक चौधरी की बेंच ने पत्रकार रॉय के खिलाफ इस शिकायत को प्रथम दृष्टया दुर्भावना से प्रेरित मानते हुए उनकी अग्रिम जमानत की याचिका स्वीकार कर ली.
अपने निर्णय में उच्च न्यायालय की बेंच ने कहा कि ‘हर एक पत्रकार का यह मौलिक अधिकार है कि वह समाचार प्रकाशित करे, भले ही वह प्रशासन को स्वीकार्य हो अथवा न हो. इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि पुलिस द्वारा वाहनों से धन उगाही की घटनाएं नई नहीं हैं, अक्सर ही इस विषय मे खबरे सुनने को मिलती रहती हैं. इस केस में हमें ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता पत्रकार की आवाज दबाने और उनका मुह बन्द करने के लिए ही पुलिस ने उन पर आरोप दर्ज किये हैं.’
कोर्ट ने यह भी माना कि चूंकि उक्त पत्रकार की रिपोर्ट कई पुलिस अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करने में सक्षम थी, इसी वजह से दुर्भावना वश उसे फसाया गया हो, इस बात की पूरी संभावना है. इसी कारण पत्रकारिता संबंधी स्वतंत्रता की बात से अपनी सहमति जताते हुए न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका मंजूर कर ली.
इसके साथ ही पुलिस को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले जांच शुरू शीघ्र शुरू की जाए कि किस आधार पर ई टीवी पत्रकार के विरुद्ध प्राथमिक शिकायत दर्ज की गई है. साथ ही पत्रकार द्वारा पुलिसिया उगाही की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए.
याचिकाकर्ता पत्रकार की ओर से एडवोकेट नज़ीर अहमद ने तथा राज्य की ओर एडवोकेट प्रसून कुमार एवं शांतनु देबरॉय ने हाई कोर्ट के सामने इस केस में पैरवी की थी. साभार :(मीडिया स्वराज डेस्क)
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