सोबरन को मेरे लाखों सलाम पहली तस्वीर में सब्जी वाले जैसे व्यक्तित्त्व जिनका नाम ‘सोबरन’ है,असम के तिनसुकिया जिले के हैं l जब ये 30 वर्ष के थे तब इन्हें कचरे के डिब्बे में पड़ी रोती हुई छोटी बच्ची मिली, वैसी ही बच्ची जो दूसरी तस्वीर में है l
वो उसे अपने साथ घर ले गए और उन्होंने चुना कि अब उन्हें शादी नही करनी है बल्कि इसी बच्ची को पालना , पढ़ाना है l उस बच्ची का नाम उन्होंने ज्योति रखा lउन्होंने सब्जी बेचते हुए ज्योति को पढ़ाया , आज ज्योति 25 साल की है l 2013 में ज्योति ने कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन किया और 2014 में असम पब्लिक सर्विस कमीशन में सेलेक्ट हुईं lआज ज्योति असम में इनकम टैक्स विभाग में उच्च पद पर कार्यरत हैं lआज जब सोबरन से पूछा जाता है कि उस वक़्त क्या आपको पता था कि आप उस बच्ची को पढ़ा लिखाकर इस पद तक पहुंचा देंगे ? तो वो एक ही बात कहते हैं कि मुझे नही पता मैंने कचरे से किसको उठाया था, मुझे बस इतना पता है कि मुझे कोयले की खान से एक हीरा मिला था ,जो आज अपनी सही चमक दिखला रहा है lप्रणाम है सोबरन तथा उस के जैसे हर सोबरन को, जो जात, पात, धर्म, मज़हब , द्वेष, हिंसा, क्रूरता, घमंड, अहंकार आदि से दूर होकर किसी मात्र जीवित को जीने लायक जीवन एवं उज्ज्वल भविष्य दे रहे हैं l ll जगदीश चावला ll
Comments
0 comments